.. साजना.. एक तुझको ही बस देख कर भूली मुझको ही मेरी नज़र तुझको शायद नहीं है ख़बर तुझको जीते हैं हम किस कदर जुड़े जो तेरे ख़्वाब से तो टूटे हम नींद से ये kiकैसा तेरा इश्क़ है साजना... तू हाथों में तो है मेरे है क्यूँ नहीं लकीरों में ये कैसा तेरा इश्क़ है साजना...
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