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Part 17

जब साँसों में तेरी सासें घुली तो फिर सुलगने लगे एहसास मेरे मुझसे कहने लगे हां बाहों में तेरी आके जहां दो यूँ सिमटने लगे सैलाब जैसे कोई बहने लगे खोया हूँ मैं आगोश में तू भी कहाँ अब होश में मखमली रात की हो ना सुबह बे इन्तेहाँ.. बे इन्तेहाँ.. यूं प्यार कर बे इन्तेहाँ.. हम्म

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